News Agency : कांग्रेस सांसद सुष्मिता देव ने उच्चतम न्यायालय के सामने दावा किया कि चुनाव आयोग इसका विश्लेषण करने में नाकाम रहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और भाजपा अध्यक्ष अमित शाह के कथित नफरत वाले भाषण ‘गलत आचरण’ हैं और इससे धार्मिक आधार पर वैमनस्य की भावना फैल रही है।
देव ने एक हलफनामे में मोदी और शाह के खिलाफ आदर्श आचार संहिता उल्लंघन की शिकायतों पर चुनाव आयोग के विभिन्न आदेशों को शीर्ष न्यायालय के सामने रखा है। इसमें उन्होंने कहा है कि चुनाव आयोग ने कुछ शिकायतों का निपटारा करते हुए इस अदालत द्वारा निर्धारित कानून का सरासर उल्लंघन करते हुए बिना कोई कारण बताए गूढ़ तरीके से आदेश पारित किया। कांग्रेस पार्टी ने छह मई को मोदी की टिप्पणी के खिलाफ चुनाव आयोग के समक्ष एक नयी शिकायत दर्ज करायी थी। अदालत में दाखिल हलफनामे में देव ने कहा है कि प्रधानमंत्री मोदी की टिप्पणी से पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी की छवि धूमिल की गयी।
मोदी और शाह के खिलाफ शिकायतों पर कुछ आदेशों का जिक्र करते हुए असम में सिल्चर से लोकसभा सदस्य और अखिल भारतीय महिला कांग्रेस की अध्यक्ष ने कहा कि ईसीआई ने इस तरह गूढ़ तरीके से आदेश जारी किया कि यह अदालत द्वारा तय कानून का उल्लंघन है। देव ने कहा है कि आयोग के फैसले में एक चुनाव आयुक्त ने असहमति जतायी थी लेकिन आदेश के साथ उसे मुहैया नहीं कराया गया। शीर्ष अदालत ने देव की याचिका को आठ मई को सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया है।
देव की ओर से पेश वरिष्ठ वकील ए एम सिंघवी ने दलील दी की चुनाव आयोग ने मोदी और शाह के खिलाफ आदर्श आचार संहिता के उल्लंघन की शिकायतों को खारिज करने का अतार्किक आदेश दिया। इसके साथ ही फैसले जारी करने में एक चुनाव आयुक्त की असहमति की भी खबरें सामने आयी है। सिंघवी ने कहा है कि शीर्ष न्यायालय को समयबद्ध तरीके से आदर्श आचार संहिता उल्लंघन से निपटने के लिए दिशा-निर्देश तय करने पर विचार करना चाहिए क्योंकि देरी करना सभी राजनीतिक दलों को समान अवसर मुहैया कराने से वंचित करना होगा।